Posts

Showing posts from September, 2023

ଜଗନ୍ନାଥଙ୍କ ର ଷୋହଳ କଳା

Image
ଜଗନ୍ନାଥଙ୍କ ର ଷୋହଳ କଳା ଆମକୁ ସଂସାର ରେ କିପରି ଜୀବନ ସୁଚାରୁ ରୂପେ  ଅତିବାହିତ କରିହେବ ସେଇ ଶିକ୍ଷା ଦେଇଥାଏ।। ପ୍ରଥମ କଳା - ନିବୃତ୍ତି : ସଂସାରରେ ରହି ସଂସାରିକତାରୁ ମୁକ୍ତ ହେବାର କଳା ।  ଦ୍ୱିତୀୟ କଳା - ପ୍ରତିଷ୍ଠା : ସତମାର୍ଗରେ ଯଶ ଅର୍ଜନ କରିବାର କଳା । ତୃତୀୟ କଳା - ବିଦ୍ୟା : ନିଃସ୍ୱାର୍ଥ ଭାବରେ ଆଜି ଜନହିତକର ବିସ୍ତାର କରିବାର କଳା । ଚତୁର୍ଥ କଳା - ଶାନ୍ତି : ମନ ଓ ମସ୍ତିଷ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସମନ୍ୱୟ ରଖି ସ୍ଥିର ଚିତରେ ରହିବାର କଳା । ପଞ୍ଚମ କଳା - ଇନ୍ଧିକା : ନିଜ ଅନ୍ତଃଶକ୍ତିକୁ ସଂଗ୍ରହ କରିବାର କଳା । ଷଷ୍ଠ କଳା - ଦୀପିକା: ଶକ୍ତିର ସତ ଏବଂ ଉପଯୁକ୍ତ ପ୍ରୟୋଗର କଳା । ସପ୍ତମ କଳା - ରେଚିକା : ନିଜ ଦୁଷ୍ଟ ପ୍ରବୃତ୍ତିକୁ ଚିହ୍ନି, ତାହାକୁ ସ୍ୱୀକାର କରି ପରିତ୍ୟାଗ କରିବାର କଳା । ଅଷ୍ଟମ କଳା- ମୋଚିକା : ମାୟା ଓ ମୋହରୁ ମୁକ୍ତ ହେବାର କଳା । ନବମ କଳା - ପରା : ନୂଆ ଦିଶା ଅଙ୍କନ ଓ ଭିନ୍ନ ଅମୃତ ଲକ୍ଷ ସ୍ଥାପନ କରିବାର କଳା । ଦଶମ କଳା - ସୂକ୍ଷ୍ମ : ସତ ସୂକ୍ଷଗତ ବିଚାର କରିବାର କଳା । ଏକାଦଶ କଳା - ସୁକ୍ଷ୍ମ ଅମୃତ :ଅମୃତତୁଲ୍ୟ କଥାର ପ୍ରୟୋଗ ତଥା ତାହାକୁ ଅମୃତ ପରି ବିସ୍ତରଣର କଳା । ଦ୍ୱାଦଶ କଳା - ଜ୍ଞାନ : ଠିକ ଓ ଭୁଲ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରଭେଦକୁ ବୁଝିବା ଓ ବୁଝାଇବା କଳା । ତ୍ରୟୋଦଶ କଳା- ଜ୍ଞାନ ଅମୃତ : ଜ୍ଞାନ ଅର୍ଜନ କରି ତାହାକୁ ଅମୃତ ପରି ବାଣ୍ଟିବାର କଳା । ଚତୁର୍ଦ୍ଦଶ କଳା - ଅପ୍ୟାୟିନୀ :

कोई मुझे बताएगा कि मैं सिर्फ जगन्नाथ को अपने घर पे ला सकता हूं | या तीनो को साथ ही लाना होता है?

Image
जगन्नाथ जी, जिन्हें लॉर्ड जगन्नाथ के रूप में जाना जाता है, को मुख्य रूप से ओडिशा राज्य में और जगन्नाथ परंपरा के भक्तों द्वारा पूजा जाता है। जगन्नाथ को आमतौर पर उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा के साथ दिखाया जाता है। वे सामंजस्यपूर्ण रूप में भगवान जगन्नाथ के साथ माने जाते हैं और परंपरागत पूजा में अलग नहीं किए जा सकते हैं। जगन्नाथ परंपरा में, घर पर केवल देवता में से किसी एक को रखना आमतौर पर आदतन नहीं होता है। ये देवताएं एक दिव्य परिवार के रूप में मानी जाती हैं, और उनकी पूजा के साथ तीनों देवताओं को शामिल किया जाता है। उनकी पूजा के साथ विशिष्ट रीति-रिवाज़ और आचारण जुड़े होते हैं जिसमें तीनों देवताएं शामिल होती हैं। यदि आप अपने घर में जगन्नाथ जी की पूजा के लिए एक प्रतिमा या मूर्ति रखना चाहते हैं, तो सामान्यत: जगन्नाथ जी के साथ बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों या छवियों को भी साथ में रखने की सिफारिश की जाती है ताकि पारंपरिक श्रद्धा बनी रह सके। इसके अलावा, जगन्नाथ परंपरा के पूजा के साथ जुड़े सही रीति-रिवाज़ और अभिषेक का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। यदि आप इसे करने का निर्णय लेते हैं, तो उप

Here are some key thoughts and teachings associated with Lord Krishna

Image
Lord Krishna, a central figure in Hinduism and a key character in the epic Mahabharata, is known for his profound thoughts and teachings. His teachings are primarily found in the Bhagavad Gita, a 700-verse scripture that is part of the Indian epic. Here are some key thoughts and teachings associated with Lord Krishna: Dharma and Duty: Krishna emphasizes the importance of fulfilling one's duty, or dharma, without attachment to the results. He encourages Arjuna, the prince and warrior in the Mahabharata, to perform his duty as a warrior without hesitation. Detachment: Krishna teaches the concept of detachment, advising people to perform their actions without attachment to the outcomes. This is often summarized in the phrase "You have the right to perform your actions, but you are not entitled to the fruits of your actions." Yoga: The Bhagavad Gita introduces various paths of yoga, including Karma Yoga (the yoga of selfless action), Bhakti Yoga (the yoga of devotion), and Jn

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण...

Image
कृष्ण जन्माष्टमी, हिन्दू पर्वों में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी मनाने के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आष्टमी को मनाया जाता है, जिसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का पुनरागमन किया जाता है। इस दिन लोग मंदिरों में जाकर पूजा, आराधना और भजन-कीर्तन करते हैं। कृष्ण भगवान की मूर्तियों को सजाकर उनके बचपन के चरणों में मित्रों के साथ खेलने की प्रतिमा करते हैं। इसके बाद मूर्तियों को तोड़कर दही-हांडी बनाई जाती है, और गोपियाँ कृष्ण के साथ मिलकर दही को चुराने का प्रयास करती हैं। इसे "दही हांडी तोड़ना" कहा जाता है। विभिन्न स्थानों पर रासलीला और कृष्णलीला के प्रस्तुतिकरण भी होते हैं, जिनमें भगवान कृष्ण के लीलाओं का पुनरागमन किया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत और उपवास का पालन किया जाता है, और खास भोजन प्रसाद के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस दिन लोग एक बार जन्म लेने वाले भगवान की आराधना और भक्ति